मंगलवार, 22 जून 2010

ब्लागवाणी ने गिराया शटर

ब्लागवाणी को बंद हुए आज 5वां दिन है। हमने एक पोस्ट भी लगाई थी इस पर एवं ब्लागवाणी के संचालकों को एक ई मेल भी किया था। पहले तो इनका जवाब मिल जाता था लेकिन अब इन्होने ने ई मेल का जवाब देना भी गवारा नहीं समझा।

अच्छा है जवाब नहीं दिया तो, हमारी कोई जोर जबरदस्ती तो है नहीं कि हमें जवाब देना जरुरी है। भाई हमारा और ब्लागवाणी का वही संबध है जो एक संकलक और ब्लाग का होता है, इससे ज्यादा कुछ नहीं।

गत वर्ष भी ब्लागवाणी ने अपनी दुकान बढा ली थी उस समय भी हमने इनसे ब्लागवाणी चालु करने का निवेदन किया था। काफ़ी कोशिशों के बाद फ़िर शुरु किया गया।

ऐसा कभी चिट्ठाजगत पर नहीं हुआ कि उन्होने कभी चिट्ठाजगत बंद किया हो या बंद करने की घो्षणा की हो।

मुझे लगता है कि एक समय के अंतराल पर ये भी अपनी लोकप्रियता का अंदाजा लगाने के लिए बंद करने का स्टंट करते हैं, पिछले समय भी यही हुआ।

अभी कुछ सुधार कर ब्लागवाणी को प्रस्तूत किया गया। उसमें नापसंद का बटन लगा कर बंठाढार कर दिया। पहले तो हमारी समझ में नहीं आया कि यह क्या है। जब ब्लागवाणी एंव अन्य जानकारों ने बताया तो पता चला। यही लगभग सबके साथ हुआ है।

अभी ब्लागवाणी बंद है। तकलीफ़ हो रही है इसलिए कि लोगों को ब्लागवाणी आदत पड़ गयी थी। लेकिन अब कुछ दिन बंद रहेगी तो लोगों को जो इसकी लत पड़ गयी है वह भी खतम हो जाएगी और ब्लागजगत पुन: अपने ढर्रे पर चल पड़ेगा।

अब लोगों के अपने फ़ीड़कल्स्टर भी हैं जिनसे वे ब्लाग पर जा सकते हैं और डेशबोर्ड पर फ़ालोवर ब्लाग की फ़ीड भी आती है। फ़िर चिट्ठाजगत तो है ही।

अब आवश्यक्ता है एक नए एग्रीगेटर की। जो अपने आपको विवादों से दूर रह कर चला सके। ब्लाग जगत को एक नया आयाम दे सके।

कई नए एग्रीगेटर भी आए लेकिन उन्होने चिट्ठों को जोड़ने के लिए इतनी ज्यादा तकनीकि का इस्तेमाल कर दिया कि लोग उसे समझ ही नही सके और वह फ़ेल हो गया। अब कोई नया सबकी समझ में आने वाला एग्रीगेटर लेकर आता है तो उसका हम स्वागत करते हैं।

उसमें चिट्ठों को दिखाने की प्रक्रिया सरल की जानी चाहिए। चिट्ठा जगत जैसे स्वचालित रुप से ब्लागर अपने चिट्ठों को स्वयं एग्रीगेटर से जोड़ सके ऐसी ही कुछ उसमें व्यवस्था होनी चाहिए। इंडली में भी यही समस्या है। हमारा ब्लाग उसमें दिखाई नहीं दे रहा है।

अभी पाबला जी ने घोषणा की है कि उनका एग्रीगेटर आ रहा है। हमारा उनसे निवेदन है कि वे जल्द से जल्द अपना एग्रीगेटर शुरु करें जिससे ब्लागरों की कठिनाई दूर हो सके।

बस ब्लागवाणी से बहुत हो गया निवेदन, अब चाहे वह चालु करे या बंद करें। इसमें उनकी मर्जी है जो करे वह अच्छा है। जब तक नया एग्रीगेटर नहीं आ जाता तब तक जैसा चल रहा है वही ठीक है।

28 टिप्‍पणियां:

  1. ब्लाग जगत को अब एक अच्छे एग्रीगेटर की जरुरत है।
    ब्लागवाणी का नखरा बहुत बढ गया है। कुछ लोगों के ब्लाग तो इसने जोड़े ही नहीं। अब बंद करने का नाटक फ़िर शुरु हो गया है।

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  2. मुझे यह उचित नहीं लगता आपका कथन.

    हो सकता हो संचालकों की कुछ मजबूरियाँ हों, वो बीमार भी हो सकते हैं. कहीं व्यस्त भी हो सकते हैं. आप जैसी ईमेल से ओवर लोड भी हो सकते हैं या लोगों के लगाये आक्षेप से खिन्न भी हो सकते हैं.

    उनकी बरसों की निःस्वार्थ सेवा को यूँ दो शब्दों में मिटया देना कतई उचित नहीं है...आप मेरे अपने हैं, अतः कहने का अधिकार है मेरा..अन्यथा न लिजियेगा.

    नये संकलक आयें, उनका स्वागत है मगर वो कतई इतिहास नहीं पौंछ सकते...उसका हिस्सा बन सकते हैं मात्र.

    हर नया कुछ नया और बेहतर लाता है..सरल है परिपाटी को बेहतर बनाना...स्थापित करना जरुर थोड़ा कठिन है..उसमें आश्चर्य भी नहीं होना चाहिये..वो आपेक्षित भी है.

    क्या नारद, क्या ब्लॉगवाणी, क्या चिट्ठाजगत ...सबका योगदान अतुलनीय है..अपने अपने समय में..कभी दिया घर रोशन करता था तो कभी फ्लोरोसेन्ट की रोशनी कम लगती है हैलोजन के सामने..वक्त वक्त की बात है.

    जरा, एक बार फिर विचारिये...निवेदन है भाई!!

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  3. @ Udan Tashtari

    समीर भाई-मैं आपसे सहमत हुँ,
    मैं भी ब्लागवाणी के कार्य को नमन करता हूँ। अब हमें इसकी लत पड़ गयी है। इसलिए लिखते समय थोड़ा सा गुस्सा थोड़ा सा प्यार वाली बात हो गयी। अन्यथा न लें।

    लेकिन ब्लागवाणी को स्पष्ट कर देना चाहिए था। जिससे जो कयास लगाए जा रहे हैं वे समाप्त हो जाते।

    हमने तो अपील भी की है। आप देख सकते हैं। लेकिन 4दिनों में मेल का जवाब नहीं आया तो थोड़ी सी कोफ़्त तो होती है। इसलिए हमने भी अपने दिल की बात कह दी।

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  4. अब आवश्यक्ता है एक नए एग्रीगेटर की। जो अपने आपको विवादों से दूर रह कर चला सके


    -मानव स्वभाव इस तरह का है कि यह संभव नहीं. मात्र दिवा स्वपन है..विवाद की जगह हम स्वयं तलाश ही लेंगे, जब भी मन मुताबिक काम न होगा..आप नहीं तो कोई और..विवाद कहाँ तक दूर किया जा सकता है.

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  5. मुझे ज्ञात हुआ है कि मैथली जी की तबीयत खराब है..इसलिए ऐसा कहना अच्छा नहीं लगा.

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  6. मुझे आपसे कोई शिकायत थोड़ी है..आपकी प्रतिक्रिया स्वाभाविक है..मैने अपना मत रखा उनके लिए जो हाँ में हाँ मिलाने आयेंगे मात्र कहने की खातिर!

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  7. @ Udan Tashtari

    जानकारी के अभाव में अनजाने में कुछ बातें हो जाती हैं।

    मैथिली जी के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना करते हैं।
    ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि वे जल्द ही स्वास्थ्य लाभ करें।

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  8. हम तो जी ना तो ब्लॉगवाणी को देखते हैं, ना ही चिट्ठाजगत को। हमारे रीडर में जो भी आ जाते हैं, उन्हे ही पढ लेते हैं।
    वैसे आप भी सही कह रहे हैं।

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  9. पहले तो कुछ ब्लागरों ने ब्लागवाणी पर उल्टे-सीधे तीर चलाये। अब कुछ दिन ब्लागवाणी बीमार हो गई तो सभी परेशान हो रहे हैं जी।
    बेशक अन्य एग्रीगेटर बेहतर सेवा दे सकें और देते रहें, मगर ब्लागवाणी के कार्य और योगदान की तुलना नहीं हो सकती है।
    आशा है कि ब्लागवाणी जल्द स्वस्थ होकर आयेगा।

    वैसे मैं तो गूगल रीडर का ज्यादा प्रयोग करता हूं। मेरे पसन्दीदा ब्लाग तो मिल जाते हैं, मगर नये चिट्ठों का पता नहीं चल पा रहा।

    प्रणाम

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  10. ललित जी,

    ब्लोगवाणी के इतने दिनों तक की निस्वार्थ सेवा को तो किसी भी प्रकार से भुलाया ही नहीं जा सकता।

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  11. ललित जी आपके कथन से आपके मन के क्षोभ का पता चल रहा है....सच है कि हम सबको ब्लोगवाणी कि लत पड़ गयी है...फिर भी कुछ और विकल्प हैं हमारे पास...चिटठा जगत अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निबाह रहा है..और ब्लोगवाणी भी जल्दी ही वापस अपने लाव लश्कर के साथ आ जायेगा , ऐसी आशा करते हैं....

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  12. अरे सुना था ब्लांगर टंकी पर चढते है...... अजी कही इस बार ब्लांग बानी ही तो नही टंकी पर चढ गई, अरे भाई अपने अपने एरिया की टंकी को चेक करो, ता कि पता तो चले कहा गई हमारी लाडली ब्लांगबाणी, उसे मना कर लाये

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  13. ब्लोगवाणी का हाल तो जाने वाले जैसा हो गया । जीते जी गालियां और जाने के बाद जय हो ।

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  14. आ गया है ब्लॉग संकलन का नया अवतार: हमारीवाणी.कॉम



    हिंदी ब्लॉग लिखने वाले लेखकों के लिए खुशखबरी!

    ब्लॉग जगत के लिए हमारीवाणी नाम से एकदम नया और अद्भुत ब्लॉग संकलक बनकर तैयार है। इस ब्लॉग संकलक के द्वारा हिंदी ब्लॉग लेखन को एक नई सोच के साथ प्रोत्साहित करने के योजना है। इसमें सबसे अहम् बात तो यह है की यह ब्लॉग लेखकों का अपना ब्लॉग संकलक होगा।

    अधिक पढने के लिए चटका लगाएँ:
    http://hamarivani.blogspot.com

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  15. पं. जी आपकी बात से सहमत हूँ!
    --
    नया एग्रीगेटर बन जाये तो कोई हानि नही है!
    --
    समीर जी की टिप्पणी से ज्ञात हुआ कि
    मैथिली जी का स्वास्थ्य ठीक नही है!
    --
    मैं उनके शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना करता हूँ!
    --
    अभा तक तो ब्लॉगवाणी का कोई विकल्प नही है!
    आशा है कि शीघ्र ही ब्लॉगवाणी हमारे बीच आ जायेगा!
    --
    वैसे भी चर्चाकारों के लिए तो ब्लॉगवाणी का बहुत महत्व है!
    --
    ललित शर्मा जी की ही भाँति मेरी भी पीड़ा है!
    --
    सद्भावी- "मयंक"

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  16. ये तो सच है कि ब्लोग्वानी की आदत लग गई है सबको और उसके बिना अधूरा लग रहा है ब्लॉगजगत ..आशा है फिर से वापस आ जायेगा ब्लोग्वानी.

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  17. यह सब तो ठीक है, अवधिया जी की बोतल में क्या था :)

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  18. koi bhi lat buri hi hoti hai smaya par khuraak na mile to aise gussa ubaltaa hai ...kisi koi dosh nahi hai.....adat buri balaa hai

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  19. पाबला जी ने घोषणा की है कि उनका एग्रीगेटर आ रहा है!

    क्या ललित जी?उनका एग्रीगेटर तो कुछ अनोखा सा है।ब्लागवाणी, चिट्ठाजगत का क्या मुकाबला उससे?

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  20. मैथिली जी के स्वास्थ्य के लिये हमारी शुभकामनाये, जल्द से ठीक हो जाये, ब्लांग बाणी चाहे देर से शुरु हो, कोई बात नही

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  21. मुच्छो वाले अंकल जी !
    समीर अंकल की बात से सहमत हु

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  22. मैथिली अंकल बीमार है... जल्दी ठीक हो जाओ अंकल, नही तो हम सभी ब्लोगेरिया बीमार हो जाएगे !

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  23. कामना करते हैं कि ब्लागवाणी की जल्द वापसी हो...

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  24. कई दिनों से देख रहा हूँ कि ब्लोगवाणी के न रहने पर स्यापा दर स्यापा है.जबकि चिठाजगत है और भी लोग हैं.गर किसी कारण से उसके कर्ता धर्ता अनुपस्थित हैं ..और गर वो बंद भी हो जाता है..तो भी ज़्यादा चिंतित होने की ज़रुरत मैं नहीं समझता.
    ज़माने में और भी गम हैं....

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  25. ब्लोगवानी का इन्तज़ार है।

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  26. ललित शर्मा जी की ही भाँति मेरी भी पीड़ा है!

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